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Indoor Residual Spraying

संवाददाता कृष्णकांत पांडेय | बलिया,जनपद में कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत कालाजार रोधी सिंथेटिक पायराथ्राईड का छिड़काव किया जा रहा है छिड़काव का काम एक सिंतबर से चल रहा है।ग्रामीण इलाकों मे मिट्टी के घरों या कच्चे घरों, दरारों, दीवारों आदि में पनपने वाली बालू मक्खी को खत्म करने के लिए इंडोर रेजीडुअल स्प्रेईंग (Indoor Residual Spraying) (आईआरएस) की जाती है।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) सुनील कुमार यादव ने बताया कि जनपद में जनवरी 2023 से अब तक कालाजार के तीन रोगी पाए गये, जिसमें एक वीएल (बुखार वाला कालाजार) और दो पीकेडीएल (चमड़े वाला कालाजार) के मरीज हैं।
उन्होंने कहा कि कालाजार एक जानलेवा रोग है जो कि बालू मक्खी के काटने से फैलता है और अक्सर यह ग्रामीण क्षेत्रों में मकान की दरारों,कच्चे घरों, दीवारों में पायी जाती है | घर के आसपास साफ़-सफाई का ध्यान रखकर एवं मच्छरदानी का प्रयोग कर इस रोग से बचा जा सकता है |
उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति को 15 दिन से अधिक बुखार का आना, भूख नहीं लगना, खून की कमी, वजन घटना, रोगी की त्वचा का रंग काला होना आदि कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। वहीं इसके मुख्य लक्षण मे से एक है त्वचा पर धब्बा बनना। यदि किसीव्यक्ति में इस तरह के लक्षण नजर आएं तो तत्काल अपने नजदीक के सामुदायिक- प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी व पीएचसी) पर जांच कराएं तथा जिला चिकित्सालय पर इलाज
कराएं|

कालाजार प्रभावित ब्लॉक :-

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि जनपद में पिछले तीन वर्षों में कालाजार से 10 ब्लॉक के 35 ग्राम प्रभावित हैं। इनमें हनुमानगंज,मुरलीछपरा,
कोटवा, रेवती, दुबहड़, चिलकहर, मनियर, बांसडीह, सोहाव,और पंदह ब्लॉक कालाजार प्रभावित हैं। छिड़काव का कार्य जनपद के आठ ब्लॉक में किया जा रहा है। यह ब्लॉक हैं क्रमशः हनुमानगंज, कोटवा, रेवती, दुबहड़, चिलकहर, मनियर, बांसडीह, सोहाव। इस कार्य के लिए 12 स्क्वायड टीम लगायी गयी हैं।

उन्होंने बताया कि बीमारी ठीक होने पर लापरवाही न करें

क्योंकि यह बीमारी एक बार ठीक होने पर दोबारा से शुरू हो सकती है, इसलिए चिकित्सक की सलाह बेहद जरूरी है |
प्राय:देखा जाता है कि आईआरएस (छिड़काव) का कार्य अधिकतर लोग पूजा घरों और रसोई घरों में नहीं कराते हैं, जिससे बालू मक्खी की बचे रहने की संभावना बनी रहती है। उन्होंने स्लोगन के द्वारा बताया कि “कोई कमरा छूटा, सुरक्षा चक्र टूटा” उन्होंने जनपद वासियों से
अपील की है कि  पूजा घर रसोई घर के साथ ही सभी कमरों की सभी दीवारों पर छह फीट की
ऊंचाई तक छिड़काव अवश्य करवाएं।

Indoor Residual Spraying

घर में कराया छिड़काव – (Indoor Residual Spraying) 

ब्लॉक कोटवा के अंतर्गत ग्राम तालिबपुर निवासी रमाशंकर राम (45)  ने बताया कि पिछले सात सालों से हमारे घर एवं पूरे गाँव में कीटनाशक रसायन का छिड़काव किया जा रहा है। जब से छिड़काव का कार्य हो रहा है तब से हमारे घर में मक्खी, मच्छर, आदि का प्रकोप कम हो गया है और घर में अब तक  कोई  इस बीमारी की चपेट में नहीं आया है।
ब्लॉक हनुमानगंज के अंतर्गत ग्राम भरतपुरा निवासी चमकलाल (30) साल ने बताया –“मैं कालाजार का मरीज रह चुका हूं। मेरा समय से इलाज भी हो गया। हमारे घर एवं आसपास नियमित रूप से साल में दो बार छिड़काव का कार्य किया जा रहा है। इसके कारण हमारे घर में मच्छर,  मक्खियों का प्रकोप बहुत कम हो गया है।

क्या है आईआरएस – (Indoor Residual Spraying)

कीटनाशक दवा का छिड़काव यानि इंडोर रेजीडुअल स्प्रेईंग या अंत: अवशेषी छिड़काव (आईआरएस) यह एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा घर के अन्दर की दीवारों और घर में जानवरों के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों पर छह फ़ीट की ऊँचाई तक दवा का छिड़काव किया जाता है। ताकि, कालाजार बीमारी की कारक बालू मक्खी से बचाव किया जा सके | कीटनाशक का छिड़काव, बालू मक्खी की संख्या को कम करता है। कीटनाशक का छिड़काव यदि सभी हिस्सों में नहीं किया गया हो तो बालू मक्खी बिना छिड़काव वाली सतह पर सुरक्षित रह जायेगी और उसे कोई नुकसान नहीं होगा ।

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One thought on “कालाजार उन्मूलन के लिए प्रभावितआठ ब्लॉक में हो रहा कीटनाशक छिड़काव पूजा, रसोई घर व सभी कमरों की दीवारों पर छह फीट की ऊंचाई तक अवश्य कराएं आईआरएस”

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