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Chandrayaan-3 landing time

Chandrayaan-3 landing time | भारत का मून मिशन, चंद्रयान-3, आज शाम को चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गया है। भारत चांद की सतह पर उतरते ही चांद के दक्षिणी पोल पर पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा। चंद्रयान-3 का लैंडर-रोवर चांद पर एक दिन, यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर काम करेगा। पूरा देश इसरो के इस महत्वाकांक्षी अभियान से उम्मीद करता है। चंद्रयान-3 ने देश को एकजुट कर दिया है। मंदिरों में प्रार्थना होती है। मस्जिदों में लोग दुआ मांग रहे हैं।

Chandrayaan-3 landing time (चंद्रयान-3 की लैंडिंग का समय)

14 जुलाई को भारत का तीसरा मून मिशन, चंद्रयान-3, शुरू हुआ। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसे निकाला गया। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) 40 दिन के बाद (Chandrayaan-3 landing time) आज शाम 6:04 बजे चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करेंगे। “चंद्रयान-3” को भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर प्रयोग किया गया।

Chandrayaan-3 landing date (चंद्रयान-3 की लैंडिंग की तारीख)

वह चांद पर चौबीस दिन दिन रहती है और अगले चौबीस दिन रात रहती है। अहिले वहाँ रात है। गणना करने के बाद, इसरो ने निष्कर्ष निकाला कि 23 अगस्त से चांद पर दिन होगा। यानी वहाँ सूरज निकल जाएगा। ऐसे में चंद्रयान की लैंडिंग दक्षिणी ध्रुव पर होगी। चांद की सतह पर उतरने के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर और रोवर सौर ऊर्जा का उपयोग करेगा। 23 अगस्त से 5 सितंबर के बीच दक्षिणी ध्रुव पर धूप निकलेगी. इससे चंद्रयान का रोवर चार्ज हो सकेगा और अपना लक्ष्य पूरा कर सकेगा।

Chandrayaan-3 Mission Cost (चंद्रयान-3 मिशन पर कितना खर्चा आया)

615 करोड़ रुपये चंद्रयान-3 मिशन पर खर्च हुए हैं। 2019 में चंद्रयान-2 मिशन असफल रहा था, इसलिए चंद्रयान-3 की शुरुआत हुई। इसे 2021 में लॉन्च करना था। लेकिन कोविड महामारी की वजह से यह देर से लॉन्च हुआ और आखिर में 14 जुलाई, 2023 को हुआ।

चंद्रयान-2 मिशन पर 978 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इसमें से 375 करोड़ रुपये जियो स्टेशनरी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल पर खर्च किए गए और 603 करोड़ रुपये ऑर्बिटर, लैंडर, रोवर, नेविगेशन और ग्राउंड सपोर्ट नेटवर्क पर खर्च किए गए।

Countries Reached the Moon Before (चंद्रमा पे पहूंचने वाले देश)

भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाले चौथे देश बन जाएगा अगर Chandrayaan-3 सफल होता है। अमेरिका, रूस और चीन इससे पहले ऐसा कर चुके हैं।
अमेरिका (America) : 2 जून 1966 से 11 दिसंबर 1972 के बीच, अमेरिका ने चंद्रमा पर 11 बार सॉफ्ट लैंडिंग की। इसमें पांच मिशन सर्वेयर स्पेसक्राफ्ट के लिए थे। अपोलो स्पेसक्राफ्ट ने छह मिशन पूरे किए। इसके तहत नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चांद पर पहली बार उड़ान भरी। बाद में चांद पर 24 अमेरिकी एस्ट्रोनॉट्स गए। 20 मई 1966 को अमेरिका का पहला लैंडर चंद्रमा पर उतरा था। रूस के लैंडर के उतरने के तीन महीने बाद.

रूस (पूर्व में सोवियत संघ) (Russia) : 3 फरवरी 1966 से 19 अगस्त 1976 के बीच, लूना ने आठ सॉफ्ट लैंडिंग मिशन किए। लूना-9, 13, 16, 17, 20, 21, 23 और 24 हैं। रूस ने चांद पर अपने अंतरिक्षयात्रियों को कभी नहीं उतारा। 3 फरवरी 1966 में, लूना-9 का पहला मिशन चांद पर उतरा। लूना ने भी चंद्रमा की सतह से नमूने लेकर वापस आया था।

चीन (China): 14 दिसंबर 2013 को, चीन, भारत का पड़ोसी देश, चांगई-3 मिशन को चांद पर पहली बार उतारा। 3 जनवरी 2019 को चांगई-4 मिशन लॉन्च किया गया था। इसमें से अंतिम मिशन रिटर्न था। यानी चांद से सैंपल लानेवाला है।

Work of Lander Vikram and Pragyan Rover (लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर का काम)

विक्रम लैंडर में चार पेलोड्स हैं। रंभा (RAMBHA)। यह सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों की घनत्व, मात्रा और बदलाव को चांद की सतह पर जांचेगा। दूसरा ChaSTE। यह चांद की सतह के तापमान की जांच करेगा। तीसरा है ILSA (ILSA)। यह लैंडिंग स्थान के आसपास भूकंपीय प्रक्रियाओं की जांच करेगा। लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA) चौथा है। चांद के डायनेमिक्स को समझने की कोशिश करेगा।
चांद की सतह पर विक्रम लैंडर प्रज्ञान रोवर से संदेश लेगा। यह बेंगलुरु में मौजूद इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) में भेजा जाएगा। जरुरी होने पर, प्रोपल्शन मॉड्यूल और Chandrayaan-2 के ऑर्बिटर की मदद ली जा सकती है। प्रज्ञान रोवर सिर्फ विक्रम से बात कर सकता है।

जाने और खबर :-

चंद्रयान-3 की सफलता को लेकर हवन का किया गया आयोजन।

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