Delhi Air Pollution: दिल्ली में प्रदूषण के कारण लोग घरों में रहने को मजबूर , हवा का स्तर 100 गुना ख़राब, पहले से और बिगड़े हालात..
राजधानी दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों वायु प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। पिछले सात दिनों में यहां की वायु गुणवत्ता (AQI) में तेजी से गिरावट आई है। शनिवार को दिल्ली के ज्यादातर इलाकों का AQI ‘बहुत खराब स्तर’ में 400 के पार दर्ज किया गया है। इस तरह की वायु गुणवत्ता को सेहत के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले 15-20 दिनों तक यहां इसी तरह की स्थिति बनी रह सकती है, ऐसे में सभी लोगों को अलर्ट रहने और बचाव को लेकर उपाय करते रहने की आवश्यकता है।
इस बीच एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने दिल्ली में साल-दर-साल बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंता जताई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली के कई हिस्सों में AQI 500 के आंकड़े को छू रही है, ये विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सीमा से करीब 100 गुना अधिक है। दिल्ली के साथ-साथ देश के कई अन्य राज्यों में भी प्रदूषण का स्तर पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है, जिसके कारण स्वास्थ्य संबंधी गंभीर दुष्प्रभावों को लेकर भी आशंका जताई गई है।
कम हो रही लोगों की आयु का कारण बना प्रदूषण: (Delhi Air Pollution)
दिल्ली-एनसीआर में हर साल सर्दियों के दौरान प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, पराली जलाने, पटाखे जलाने और अन्य स्थानीय प्रदूषक स्रोतों के कारण वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती है। प्रदूषण की वजह से दिल्ली एनसीआर में रहने वाले लोगों की उम्र औसतन 11.9 वर्ष तक घट रही है जबकि वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 10 वर्ष का था। पूरे भारत में एक भी जगह ऐसी नहीं है जो स्वच्छ हवा के मानकों पर खरी उतरती हो। विश्व स्तर की बात करें तो बांग्लादेश दुनिया का सबसे ज्यादा प्रदूषित देश है।
वायु प्रदूषण से क्या प्रभाव पड़ता है : (Delhi Air Pollution)
- हवा में अवांछित गैसों की उपस्थिति से मनुष्य, पशुओं तथा पक्षियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इससे दमा, सर्दी, अंधापन, श्रवण शक्ति कमज़ोर होना, त्वचा रोग आदि बीमारियाँ पैदा होती हैं।
- वायु प्रदूषण के कारण अम्लीय वर्षा का खतरा बढ़ा है क्योंकि वर्षा के पानी में सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड आदि ज़हरीली गैसों के घुलने की संभावना बढ़ी है जिससे पेड़-पौधे, ऐतिहासिक इमारतों और घरों को नुकसान हुआ है।
- बढ़ते हुए वायु प्रदूषण को देखते हुए वातावरण में कार्बन-डाइऑक्साइड (CO2) की मात्रा के दोगुनी होने की संभावना है। CO2 में हुई इस वृद्धि से पृथ्वी के तापमान में लगातार वृद्धि होगी जिसके परिणामस्वरूप ध्रुवीय बर्फ, ग्लेशियर आदि पिघलेंगे। परिणामस्वरूप यह तटीय क्षेत्रों में बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि होगी, इससे कई तटीय देशों और राज्यों के डूबने की संभावनाएँ हैं। यदि वर्षा के पैटर्न (Pattern) में बदलाव हुआ तो इससे कृषि उत्पादन प्रभावित होगा।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत, साँस की बीमारियों और अस्थमा से होने वाली मौतों के मामले में दुनिया में अग्रणी है। कम दृश्यता, ट्रोपोस्फेरिक स्तर और अम्ल वर्षा से भी वायु प्रदूषण पर्यावरण को प्रभावित करता है।
दिल्ली सरकार का प्रदूषण को रोकने के लिए उपाय:
(Delhi Air Pollution) दिल्ली सरकार ने “युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध” (Yuddh Pradushan Ke Viruddh) नामक एक व्यापक प्रदूषण विरोधी अभियान शुरू किया है। इसमें पेड़ों के प्रत्यारोपण का कानून बनाना, कनॉट प्लेस (दिल्ली) में एक स्मॉग टॉवर बनाना, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना और पराली जलाने को रोकना शामिल हैं।
इससे दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता का मुकाबला करने में मदद मिलेगी जो सर्दियों के मौसम में और भी अधिक खराब हो जाती है
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