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Nutrition Rehabilitation Center

संवाददाता कृष्णकांत पांडेय |बलिया, 20 सितंबर 2023 | Nutrition Rehabilitation Center


केस – 1 (Nutrition Rehabilitation Center)

ब्लॉक सोहांव के अंतर्गत गाँव पिपराकला के निवासी ओम प्रकाश और मीना ने अपने 11 माह के बच्चे मुन्ना को वजन कराने के लिए लेकर आया तो पता चला कि वह बहुत कम खाता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुष्पा देवी ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत क्षेत्र में कार्य कर रही टीम को जानकारी दी। टीम ने जांच के दौरान पोषण पुनर्वास केंद्र (NRC) वार्ड के बारे में बताया। जहां गंभीर तीव्र अतिकुपोषित बच्चों (सैम) और मध्यम गंभीर कुपोषित बच्चों (मैम) को बेहतर इलाज और पौष्टिक भोजन मिलता है

इसके बाद 11 माह के मुन्ना को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं आरबीएसके टीम के सहयोग से 17 अगस्त 2023 को एनआरसी मे भर्ती कराया गया। भर्ती कराते समय मुन्ना का वजन 4.340 किलोग्राम था। 14 दिन बेहतर देखभाल के बाद 5.100 किलोग्राम वजन के साथ 30 अगस्त को घर आ गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुष्पा देवी ने बताया कि मुन्ना के घर एक फॉलोअप में उसका वजन 5 किलो 200 ग्राम था।

केस – 2

ब्लाक मुरली छपरा के अंतर्गत गांव सेमरिया के निवासी फुलेंद्र की बच्ची रोशनी का शारीरिक विकास न हो पाने के कारण उनकी पत्नी रूबी काफी चिंतित रहती थीं। एक दिन उनकी मुलाकात आंगनबाड़ी कार्यकर्ता निर्मला देवी से हुई। उन्होंने जब रोशनी को देखा तो रूबी को ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस (वीएचएनडी) पर आने के लिए कहा। रूबी रोशनी को लेकर वहां पहुंची, जहां उसका स्वास्थ्य परीक्षण हुआ। उम्र के अनुसार रोशनी का वजन एवं लंबाई दोनों कम पाये गये। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम द्वारा जांच के उपरांत उसे पोषण पुनर्वास केंद्र (Nutrition Rehabilitation Center) में भर्ती करने की सलाह दी गई।

इसके पश्चात आंगनबाड़ी कार्यकर्ता निर्मला देवी एवं आरबीएसके टीम के सहयोग से दस माह की रोशनी को आठ अगस्त 2023 को एनआरसी में भर्ती करवाया गया। भर्ती के समय रोशनी का वजन 4.135 किलोग्राम था।रोशनी को 22 अगस्त को एनआरसी से छुट्टी दी गई, क्योंकि वह चौदह दिनों तक उपचार और अच्छी खाने की वजह से 4.600 किलोग्राम वजन बढ़ा।

मुन्ना और रोशनी केवल उदाहरण हैं।

हकीकत में ऐसे अनेक बच्चे जिला अस्पताल स्थित इस पोषण पुनर्वास केंद्र से स्वास्थ्य लाभ पा चुके हैं। गंभीर पोषण पुनर्वास केंद्र में आरबीएसके टीम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से तीव्र अति कुपोषित (सैम) और मध्यम गंभीर कुपोषित (मैम) बच्चों को भर्ती कराया जा रहा है। साथ ही कुछ बच्चे ओपीडी के माध्यम से भी भर्ती कराये जाते हैं। NRC वार्ड में आधुनिक सुविधाएं हैं, नोडल अधिकारी डॉ. अविनाश कुमार उपाध्याय ने बताया। बच्चों के खिलौने और टीवी भी हैं। ग्रीष्मकाल में एसी, पंखे और सर्दियों में कमरे में हीटर हैं।
एनआरसी की डाइटिशियन रेनू तिवारी ने बताया – वार्ड में सैम-मैम बच्चों को कम से कम 14 दिन या अधिकतम 28 दिन तक भर्ती करके उपचार किया जाता है। उनके खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जैसे दूध से बने अन्नाहार, खिचड़ी, प्रारंभिक दुग्धाहार (एफ-75 और एफ-100), दलिया, हलवा, फल और सूक्ष्म पोषण तत्व जैसे आयरन, विटामिन ए, जिंक और मल्टीविटामिंस।

एनआरसी में अब तक 928 बच्चे हो चुके हैं पोषित- Nutrition Rehabilitation Center

जिला चिकित्सालय में दो अक्टूबर 2016 को एनआरसी वार्ड की स्थापना हुई थी। तब से इस वार्ड में 928 अतिकुपोषित बच्चों को नई जिंदगी दी जा चुकी है। इसमें वह भी बच्चे शामिल है जो रेफर व डिफाल्टर हैं। यहां एनआरसी वार्ड में नोडल डॉ अविनाश कुमार उपाध्याय, चार स्टाफ नर्स मधु पांडे, श्वेता यादव, आशुतोष शर्मा, विप्लव सिंह, एक केयरटेकर बलराम प्रसाद, कुक अमृता देवी और डाइटिशियन रेनू तिवारी हैं। इस केंद्र पर जहां एक माह से पांच साल तक के गंभीर रूप से सैम-मैम बच्चों, चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाती है। इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है।

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